चंपारण ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है सत्याग्रह के लिए व अहिंसा के लिए - उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

 

महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह।

Meri Pehchan / Report By अमानुल हक़ 

बिहार (मोतिहारी)। महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा मोतिहारी के महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में द्वितीय दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि भारत गणराज्य के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर थे। सांसद सह पूर्व केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह उपस्थित थे। इस दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति महेश शर्मा ने की व विवि के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।

दीक्षांत समारोह की शुरुआत शैक्षणिक शोभा यात्रा के साथ सशस्त्र सीमा बल की धुन पर हुआ। राष्ट्रगान के पश्चात विश्वविद्यालय की कुलगीत का गायन हुआ। मां सरस्वती की प्रतिमा व बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।


विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव के द्वारा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बिहार के राज्यपाल राजेंदे विश्वनाथ आर्लेकर, सांसद राधामोहन सिंह, कुलाधिपति डॉ. महेश शर्मा एवं सांसद राधा मोहन सिंह को उत्तरीय, संकट मोचन की प्रतिमा व महात्मा गांधी का जीवन चक्र चरखा देकर सम्मानित किया गया। 

विश्वविद्यालय के कूलानुशासक प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने विवि के कुलपति प्रो.संजय श्रीवास्तव  को उत्तरीय, संकट मोचन की प्रतिमा व महात्मा गांधी का जीवन चक्र चरखा देकर सम्मानित किया। 

स्वागत वक्तव्य के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि विश्वविद्यालय शोध का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। विश्वविद्यालय नित प्रतिदिन नई ऊंचाइयों को छू रहा है। हाल ही में एनआरआईएफ रैंकिंग में विश्वविद्यालय 20वां स्थान प्राप्त की है और भविष्य में नेक विजिट की तैयारी भी विश्वविद्यालय कर रहा है। विश्वविद्यालय अनेक संस्थाओं के साथ एमओयु हस्ताक्षर कर रहा है। विद्यार्थियों के लिए कहा कि विद्यार्थी विश्वविद्यालय के ब्रांड एंबेसडर हैं।

स्वागत भाषण के पश्चात विश्वविद्यालय के कुलानुशासक द्वारा उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों की सूची जारी की गई। जिसमें 121 छात्र स्नातक से, 265 स्नातकोत्तर और 47 छात्र पीएचडी से शामिल थे। 

स्वर्ण पदक  उपराष्ट्रपति के द्वारा दिया गया जिसमें, अंजली सिंह- कुलाधिपति स्वर्ण पदक,  सुनीधी- कुलाधिपति स्वर्ण पदक, श्वेता  सिंह- कुलाधिपति स्वर्ण पदक, द्विज्यपाल- कुलाधिपति स्वर्ण पदक, राहुल राजेश गुप्ता- कुलाधिपति स्वर्ण पदक दिया गया। 

हेमंत वर्मन- स्वर्ण पदक, हिमांशु रंजन- स्वर्ण पदक, नवीन कुमार- स्वर्ण पदक व मानवी भार्गव- स्वर्ण पदक को स्वर्ण पदक दिया गया। 

मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति  जगदीप धनखड़ ने कहा की  यह धरती ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। सत्याग्रह के लिए, अहिंसा के लिए। जिसका नतीजा आजादी के आंदोलन में बड़ा बदलाव लाने के लिए सक्रियता से लोग जुड़े। यहां के लोग राष्ट्रवाद व राष्ट्र चेतना की भावना से ओत-प्रोत है। इस विश्वविद्यालय से जो भी अध्ययन होगा वह राष्ट्रीय चेतना के लिए समर्पित है। नेशन फर्स्ट के लिए समर्पित है। इस विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू आयी थी और द्वितीय दीक्षांत समारोह में मैं खुद यहां आया हूं, इस क्षण को मैं हमेशा याद रखूंगा। उन्होंने कहा कि नदी में एक स्थान पर रहने के लिए भी कदम ताल जरूरी है। वैसे ही हमारे जीवन में भी अध्ययन बेहद ही जरूरी है। बच्चा जब जन्म लेता है तो आगे बढ़ता है गिरता है और वह वही से चलना सीखता हैं। हमे कभी नही डरना चाहिए। आगे बढ़ते रहना चाहिए। आज भारत अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपना मिसाल कायम कर रहा है। सभी निर्णय पारदर्शिता के साथ लिए जा रहे हैं। विकसित भारत की संकल्पना किसी एक व्यक्ति से नहीं बल्कि 140 करोड़ लोगो के मेहनत से होगी। गांधी जी ने प्रकृति से प्रेम करने को कहा था लेकिन जिसे हम भूल गए हैं। इसे वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री जी का योजना एक पेड़ मां के नाम काम आएगा।  हमें स्वदेशी की तरफ आने की भी जरूरत है। हमें वोकल फोर लोकल होने की जरूरत है। पहले देश की विदेशी मुद्रा भंडार काफी कम हुआ करती थी, लेकिन वर्तमान समय में विदेशी मुद्रा भंडार भरा हुआ है। 

उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रण लेना चाहिए कि वह विश्वविद्यालय को फंड दे चाहे वह कितना भी हो। हमें अपने परिवेश से बाहर निकल कर सोचने की जरूरत है। बिहार की है धरती सांस्कृतिक विरासत की मिसाल है । यहां डॉ. राजेंद्र प्रसाद से लेकर कर्पूरी ठाकुर हुए। आज के समय में भारत की प्रगति समुद्री ,धरती और आकाश तीनों क्षेत्र में प्रगति कर रहा है । 2047 की मैराथन मार्च की कर्मधार युवा है। 

सांसद सह पूर्व केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने सभी उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई व मंगलकामना दिया। कहा, यह दीक्षांत समारोह चंपारण के लिए गर्व का विषय है,जो इतनी भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत व समर्पण का फल आज उन्हें मिल रहा है। विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय के प्राण व धुरी हैं। भले आज यहां से उपाधि प्राप्त करके जा रहे हैं लेकिन उनका संबंध विश्वविद्यालय से सदैव रहेगा। छात्रों की प्रसिद्ध ही हमारे विश्वविद्यालय की भी प्रसिद्ध है। विद्यार्थियों से कहा कि जीवन का हर दिन सीखने का अनुभव होगा और हर दिन नई परीक्षा देनी होगी। भविष्य में जब भी विद्यार्थी विश्वविद्यालय आए तो सफल होकर आये। 

राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा की सभागार मे उपस्थित सभी लोग बधाई के पात्र है। आज उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों का दीक्षा का अंत हो रहा है, शिक्षा का नही। शिक्षा बाहर से हर हर व्यक्ति, हर चुनौतियों से प्राप्त होगी। शिक्षा आप सभी के व्यक्तित्व का निर्माण करेगा तो ही राष्ट्र का निर्माण संभव हो पाएगा। 

कार्यक्रम का समापन राष्टगान के साथ शैक्षणिक शोभायात्रा के विपरीत चलने से हुई।

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