कैंसर मरीजों की बेतिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल मे जल्द होगी कीमोथेरेपी


Meri Pehchan / Report By अमानुल हक़ 

बेतिया,16 जुलाई। पश्चिम चंपारण के कैंसर मरीजों के लिए खुशखबरी है, उन्हें अब बेतिया मेडिकल कॉलेज के सी ब्लॉक् के चौथी मंजिल पर जल्द कीमोथेरेपी की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध हो सकेगी-  ये बातें जिले के गैरसंचारी रोग पदाधिकारी डॉ मूर्तजा अंसारी नेब ताई है। उन्होंने बताया की इसको लेकर जिला स्तर पर कई प्रकार से तैयारियाँ की जा रहीं है। उन्होंने बताया की "डे केयर कीमो थेरेपी"के लिए जीएमसीएच बेतिया के अधीक्षक डॉ सुधा भारती का बड़ा योगदान है। उन्होंने इसके लिए कमरा भी आवंटित कर दिया है, ताकि शीघ्र से शीघ्र कीमोथेरेपी की सुविधा कैंसर मरीजों को दी जा सकें, इसके लिए उन्हें अब पटना या अन्य जगह भटकने की जरूरत नहीं होगी।इस कार्य की जल्द शुरुआत करने को लेकर जिले के सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार की अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य समिति बेतिया में जिला स्तरीय अधिकारीयों की बैठक हुई। वहीं राज देवड़ी स्थित   भवन में एएनएम, जीएनएमबी, सीएम,आशा फैसिलिटेटर व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की कार्यशाला आयोजित की गईं जिसमें अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा, संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मूर्तजा अंसारी ने कई महत्वपूर्ण बातें बताई।उन्होंने एनपी / एनसीडी की समीक्षा की एवं सीबीएसी की फैमिली फोल्डर के साथ स्क्रीनिंग के बारे में समीक्षा की।डॉ अंसारी ने बताया की भविष्य में भी स्क्रीनिंग कार्य सुचारु रूप से हो ताकि पश्चिमी चम्पारण जिले को राज्य में बेहतर स्थान प्राप्त हो सकें।

    डॉ मूर्तजा अंसारी ने बताया की जिले के सभी 18  प्रखंडो में कैंसर मरीजों के पहचान को मेडिकल कैंप लगाकर स्क्रीनिंग की जाती है, वहीं उसकी निगरानी उनके एवं विभागीय टीम द्वारा की जाती है।उन्होंने बताया की कैंसर एक असाध्य रोग है परन्तु अगर समय से पहचान हो तो इलाज द्वारा इसे मात दिया जा सकता है।

 डॉ मूर्तजा अंसारी ने कहा की धूम्रपान का अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, समय से पहले मृत्यु का कारण बनते हैं। भारत में तम्बाकू के कारण मृत्यु दर 1.3 मिलियन से अधिक होने का अनुमान है। इनमें से, दस लाख लोग तम्बाकू धूम्रपान के कारण और शेष लोग धूम्रपान रहित तम्बाकू के उपयोग के कारण होते हैं। इसके अलावा, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आई सी एम आर)  द्वारा 2004 तक प्रकाशित साहित्य के विश्लेषण के आधार पर "गैर-संचारी रोगों के कारण रोगों के बोझ का आकलन" शीर्षक से किए गए अध्ययन के अनुसार, तम्बाकू के उपयोग के कारण होने वाली बीमारियों का जोखिम क्रमशः स्ट्रोक (78%), तपेदिक (65.6%), इस्केमिक हृदय रोग (85.2%), तीव्र रोधगलन (52%), एसोफैजियल कैंसर (43%), मौखिक कैंसर (38%) और फेफड़ों के कैंसर (16%) के लिए था।एनसीडीओ डॉ अंसारी ने बताया की 'भारत में तम्बाकू से संबंधित बीमारियों के आर्थिक बोझ' पर रिपोर्ट (2014) के अनुसार, भारत में सभी गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से संबंधित मौतों में से 80% से अधिक चार प्रमुख बीमारियों के कारण होती हैं, जैसे हृदय रोग; कैंसर; पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियाँ और मधुमेह। भारत में तम्बाकू के कारण मृत्यु दर 13.5 लाख से अधिक होने का अनुमान है (वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण पर रिपोर्ट, 2016-17)। यदि वर्तमान रुझान जारी रहे और यदि तम्बाकू की खपत को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो अनुमान है कि वर्ष 2020 तक, भारत में हर साल होने वाली सभी मौतों में से 13% मौतें तम्बाकू के उपयोग से होगी।भारत सरकार ने  लोगों को तम्बाकू छोड़ने हेतु आवश्यक जानकारी देने के लिए के लिए 1800 112 356 (टोल फ्री) पर कॉल करें या 011-22901701 पर मिस्ड कॉल करने पर इस सम्बन्ध में जानकारी दे रही है।मौके पर जिले के सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा, संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मूर्तजा अंसारी डॉ वसुंधरा प्रियदर्शनी, डॉ सोनाली प्रिय, दिवाकर कुमार सिँह,व अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहे।

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