बेतिया। 02 अक्तूबर। बापू हमने थाना है , तेरे हत्यारों को हटाना है के गर्म जोशी नारों के साथ गांधी की कर्मभूमि बेतिया में महात्मा गांधी की 154 वीं जयंती मनाई गई। पश्चिम चम्पारण टांगा चालक कल्याण संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत सीटू के राज्य सचिव शंकर कुमार राव द्वारा माल्यार्पण से हुआ । समारोह की अध्यक्षता प्रकाश वर्मा ने किया।
इस अवसर पर संघ के महासचिव नीरज बरनवाल ने समारोह के औचित्य पर प्रकाश डाला। समारोह को संबोधित करते हुए बिहार राज्य किसान सभा के उपाध्यक्ष प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत की दमनात्मक कारवाईयों के खिलाफ चम्पारण के किसान आक्रोश में थे । अनेक जगहों पर आन्दोलन चल रहे थे। बैरिया फैक्ट्री, कुड़िया फैक्ट्री , बेलवा फैक्ट्री , गहिरी फैक्ट्री के आतंक से किसान परेशान थे । नील की खेती करना अनिवार्य था । तीन कठिया प्रथा यानी एक बिगहा में तीन कथा में नील की खेती करने का किसान विरोध करने लगे थे । अनेकों टैक्स का विरोध कर रहे थे।
उसी दौर में 22 अप्रैल को गांधी जी बेतिया आए । बेतिया रेलवे स्टेशन पर 10 हजार से ज्यादा लोग उनके स्वागत में खड़े थे।गांधी के चम्पारण आने से अंग्रेजों में भय व्याप्त हो गया । किसान विद्रोह का तेवर बढ़ने लगा । बिहार गवर्नर के आदेश पर चम्पारण से के कलक्टर हिकाक ने 11 सदस्यीय एग्रेरियन कमिटी बनाई गई । जिसका एक सदस्य गांधी भी बनाए गए।इस किसान विद्रोह से गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों से सभी महत्वपूर्ण मांगों पर सहमति बन गई । इसका असर पूरे देश के आन्दोलन पर पड़ा । चम्पारण के किसानों ने गांधी को महात्मा नाम दिया । तबसे पूरा देश महात्मा गांधी के नाम से गांधी को जाना ।
वक्ताओं ने कहा कि आज देश की गद्दी पर गांधी की हत्या करने वाले विचार के लोग बैठे हैं। आज इनके जन्म दिन पर मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लेना है।सभा को खेतिहर मजदूर यूनियन के जिला सचिव प्रभुनाथ गुप्ता , जनवादी लेखक संघ के जिला सचिव अनिल अनल, सीटू के राज्य सचिव शंकर कुमार राव, जिला अध्यक्ष वी के नरूला , नौजवान सभा के राज्य उपाध्यक्ष म. हनीफ , संत राम , मंसूर मियां , म. सत्तार, जीवोध राम , राजदा बेगम , किशोरी साह, मंजूर मियां , गुलाम आदि ने अपने विचारों को रखा ।
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