चम्पारण (सत्याग्रह) के धरती की समस्त जनता जनार्धन को शत शत नमन एवम चिंतन व विचारार्थ समर्पित

 




देश आजादी के 75 वर्षों में चम्पारण में एक भी नई फैक्ट्रियां नहीं लगी । ताकि सत्याग्रह (चम्पारण) की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो सके । अंग्रेजो के जमाने मे लगे हुए (फैक्टरी) चीनी मिल -- चनपटिया , मोतिहारी और चकिया बंद हो गया वो नहीं चला। पूर्व में एक स्टील का कारखाना कुमारबाग़ चम्पारण में आया भी परंतु उसमे हाजीपुर से ही 95%(प्रतिशत) बहाली कर दिया गया अर्थात इस धरती का भी अपहरण हो गया । चम्पारण की धरती जो सत्याग्रह की धरती है, इसी धरती के महान सपूतो के आंदोलन व बलिदान की अग्रणी भूमिका ने देश को तिरंगा दिया अर्थात देश आजाद हुआ । लोकतंत्र स्थापित होने के बाद इस धरती पर मुख्यमंत्री और रेलमंत्री, कृषि मंत्री, उपमुख्यमंत्री, उद्योगमंत्री , भारी उद्योगराज्य मंत्री, प्रांतीय अध्यक्ष जैसे अति विशिस्ट पद प्राप्त होने के बाद भी चम्पारण की धरती वही की वही है । हां विकास तो हुआ है पलायनकारियों एवं बेरोजगार नवयुवकों की संख्या का...

प्रश्न तो उठता है क्यों ? अब तो मात्र प्रधानमंत्री ही बनना बाकी है क्या तब काम होगा ।

नहीं ------------- जहाँ पर सुप्रीमो लीडर है वहाँ पर विकाश हुआ है जैसे - श्री नीतीश कुमार जी ने नालंदा में , श्री रामविलाश पासवान जी ने हाजीपुर में, श्री लालू प्रसाद जी ने छपरा में अप्रत्याशित विकाश किए है।

अंग्रेजों के उपदेश -- 'फुट डालो और शासन करो' के रास्ते पर देश चल रहा है तभी तो हिन्दू-मुस्लिम , बैकवर्ड-फारवर्ड का उपदेश दिया जा रहा है परंतु काम वहीं होता है जहाँ सुप्रीमो रूपी दबंग लीडर है।

अर्थात जिस धरती पर सुप्रीमो रूपी दबंग लीडर होगा वहाँ पर चौमुखी विकाश होगा, चाहे वो (यू० पी० ए०) और (ऐन० डी० ए०) किसी के साथ हो। आजतक चम्पारण सत्याग्रह की धरती सुप्रीमो रूपी दबंग लीडर (नेता) नहीं पैदा कर सका जिसके चलते चम्पारण पिछड़ा का पिछड़ा रह गया । जबतक विधानसभा और लोकसभा में चम्पारण के मिट्टी का आवाज बुलंद नहीं होगा तबतक कोई सुनने वाला नहीं है और जब सुनेगा ही नहीं तो काम क्या होगा ।


भवदीय :-

पं० विपिन तिवारी (राष्ट्रीय अध्यक्ष) 

लोकतांत्रिक जन स्वराज पार्टी 

मो० - 9430987103

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ