नई दिल्ली, 27 सितम्बर। भूमि अधिकार आंदोलन का चौथा राष्ट्रीय कन्वेंशन 26 सितंबर को कंस्टीटूशन क्लब नई दिल्ली में प्रारंभ हुआ । कन्वेंशन का उदघाटन अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव का. हन्नान मौला ने किया । कन्वेंशन को नर्मदा बचाओ अभियान की नेत्री मेघा पाटेकर , डॉ सुनीलम , कोलकाता के देवाशीष , महाराष्ट्र की उल्का ताई, आदि लोगों ने संबोधित किया ।
कन्वेंशन को संबोधित करते हुए बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभुराज नारायण राव ने बताया बिहार में पोखर के किनारे बसे लोगों को उजाड़ा जा रहा है । उन्हें विस्थापित किया जा रहा है । सरकार के द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जा रही है।
जंगल के किनारे रहने वाले लोगों को परंपरागत तरीके से जंगल से जलावन के लिए लकड़ियां मिलती थी। लेकिन आज जंगल का बैरिकेटिंग करके इस अधिकार से जंगल के किनारे बसे गरीब आदिवासियों को वंचित किया जा रहा है । इतना ही नहीं जंगल के किनारे नेपाल के सीमा से सटे तमाम जंगलों की कटाई कर स्थानीय जमींदारों ने हजारों एकड़ भूमि अपना बना लिया है और उनके जमीनों के तरफ से गरीब आदिवासियों को जंगल तक नहीं जाने दिया जाता है।
बिहार नेपाल से सटा हुआ एक राज्य है और नेपाल के पहाड़ों से अनेक नदियां निकलती है । जो बिहार में आती है । नदियों के गर्व में गाद (सिल्ट) भर जाने से बड़े पैमाने पर समतल जमीनों पर भी बाढ़ से भारी नुक्सान हो रहा है ।
उन्होंने आगे कहा कि बिहार में 18 चीनी मिलें बिहार शुगर कारपोरेशन के अधीन बंद पड़ा हुआ है।इन चीनी मिलों को बिहार सरकार चालू नहीं कर रही है । जिससे लाखों बेरोजगारों को रोजगार मिलता और किसानों को भी नकदी फसल लगाने से उसका सीधा लाभ मिलता । लेकिन ऐसा नहीं सोच कर भाजपा जदयू की पिछली सरकार के उद्योग मंत्री शहनवाज हुसैन ने बंद पड़े चीनी मिलों की जमीनों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियां और कारपोरेट जगत के लोगों को देकर इथनॉल का प्लांट लगाना चाहती थी । जबकि सबको पता है कि सभी चालू चीनी मिलों में गन्ना से चीनी निकलने के बाद उसके बायोप्रोडक्ट के रूप में इथेनॉल, बिजली, स्प्रीट , खाद आदि सामान बन रहे हैं । बिहार के अंदर चल रहे सभी चीनी मिलें इथनौल बना रही है । ऐसी स्थिति में बंद पड़े चीनी मिलो को चालू नहीं करके उन जमीनों पर इथनौल प्लांट लगाना चाहती है ।
बिहार जैसे कमजोर राज्य के .लिए यह प्लांट भारी संकट पैदा करेगा । जिस बिहार में बाढ़, सुखाड़ के चलते फसलों का भारी नुकसान होता है । अनाज का पैदावार कम हो जाता है । बिहार में अनाज से इथनौल बनाने का प्लांट लगाना, यह बिहार के लिए आत्मघाती है ।
बिहार राज्य किसान सभा और बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ ऐसे किसान विरोधी, नौजवान विरोधी और जनविरोधी कारपोरेट पक्षिय योजनाओं का विरोध कर रहा है । उन्होंने कहा आज देश के कोने कोने से सैकड़ों संगठन के लोग इस राष्ट्रीय कन्वेंशन में अपने अपने इलाके के संघर्ष और गतिविधियों को समुचित ढंग से रख रहे हैं । निश्चित रूप से आज जरूरत है की संयुक्त किसान मोर्चा की तरह , इस भूमि अधिकार आंदोलन को भी सशक्त बनाया जाए और देशव्यापी एक जुझारू संघर्ष खड़ा किया जाए ।
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