बेतिया, 12 मार्च। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन द्वारा ऐतिहासिक शहीद स्मारक में, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा आरंभ की गई दांडी मार्च नमक सत्याग्रह 92 वीं वर्षगांठ एवं भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कस्तूरबा गांधी एवं स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद डॉक्टर सुभाष कुमार अग्रवाल चांसलर परिज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड डॉ शाहनवाज अली ने संयुक्त रूप से कहा कि आज ही के दिन आज से 92 वर्ष पूर्व 12 मार्च 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में 72 स्वतंत्रता सेनानियों ने नमक सत्याग्रह का आरंभ किया था । मार्च से अप्रैल 1930 तक हुआ नमक मार्च, देश में ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा का कार्य था। आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा आरंभ की गई असहयोग आंदोलन की 100 वीं शताब्दी वर्ष बना रहा है। महात्मा गांधी और उनके साबरमती आश्रम के 78 अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने नमक पर कर लगाने वाले कानून को तोड़ने के लिए 12 मार्च, 1930 को दांडी यात्रा शुरू की थी। 21 दिनों तक चलने के बाद, वे 5 अप्रैल को दांडी पहुंचे और कानून तोड़ दिया। यह ऐसा कानून था जो भेदभाव पूर्ण था। इस अवसर पर आजादी के अमृत महोत्सव के लिए बनी कोर कमेटी के सदस्यों ने भाग लिया। जो आजादी के बीच महोत्सव समारोह पूर्वक मनाने में महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है। 2 वर्षों तक विभिन्न चरणों में आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष मनाया जा रहा है। इसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि बुद्धिजीवियों एवं गांधीवादी चिंतक शामिल है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किए जाएंगे। महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी द्वारा आरंभ किए गए सत्य अहिंसा एवं आपसी प्रेम के सिद्धांतों सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जन जागरण अभियान एवं सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालयों , महाविद्यालयों ,स्कूलों में ,बाल विवाह, दहेज प्रथा, बाल मजदूरी सीमा पार मानव व्यापार, समेत अनेक सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध नई पीढ़ी को जागृति के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किए जा रहे हैं। समारोह में देश विदेश के जाने-माने बुद्धिजीवी, गांधीवादी चिंतक, विचारको एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना है। यह समय 1757 ,1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कस्तूरबा गांधी एवं स्वतंत्रता सेनानियों को स्मरण करने का समय है जिनके त्याग एवं बलिदान के कारण भारत 200 वर्षों के गुलामी के बाद अंग्रेजों के जुल्मों से भारत आजाद हुआ था! इस अवसर पर,शाहीन परवीन, वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल, नवीदूं चतुर्वेदी समेत अनेक जाने-माने गांधीवादी एवं सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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