टीबी मरीजों की पहचान को लेकर जीविका दीदियों को दिया गया प्रशिक्षण

 



चंपारण,19 फरवरी। पश्चिम चम्पारण जिला स्थित सिकटा प्रखंड के बैसखवा स्तिथ दिशा जीविका संकुल संघ में  कर्नाटका हेल्थ प्रोमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी)द्वारा जीविका की सीएम एवं स्वयं सहायता समूह की दीदियों का पर्सपेक्टिव बिल्डिंग वर्कशॉप का आयोजन  किया गया।वर्कशॉप में केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर मेनका सिंह ने बताया कि अगर आपके स्वयं सहायता समूह या पड़ोस में किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें, ये टीबी के लक्षण हैं।सीएचसी के वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक प्रभुनाथ राम ने बताया कि  सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है।मेनका ने बताया की पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नही चाहिए।वही मौके पर उपस्थित  जीविका के क्षेत्रीय समन्यवक सौरभ कुमार ने कहा कि सामुदायिक जागरूकता से ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। जीविका दीदियां अपने स्वयं सहायता समूह के साथ-साथ आसपास के लोगों को भी जागरूक करेंगी तो हम समाज से टीबी बीमारी को खत्म कर सकते हैं।मौके पर जीविका दीदियों को बताया गया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता है और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।आपकों बता दे कि बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग और केएचपीटी के द्वारा पश्चिमी चंपारण जिले में टीबी उन्मूलन के लिए सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है।मौके पर केएचपीटी के सीसी डॉ घनश्याम, नीरज कुमार, जीविका सीएम नगीना देवी,शोभा देवी  एमआरपी मो.जान अंसारी सहित दर्जनों जीविकादिदियां उपस्थित रहीं।


बीच में दवा नहीं छोड़े:-

 वर्कशॉप में जिला संचारी रोग पदाधिकारी सह यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ टी एन प्रसाद ने बताया की टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते हैं और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।

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