बेतिया, 16 जनवरी। भाकपा माले सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने स्थानीय प्रशासन द्वारा इंडो नेपाल बॉर्डर रोड के लिए इनरवा बाजार में ईदगाह और आवासीय घर को तोड़े जाने की घटना को घटनास्थल पर पहुंचकर जांच - पड़ताल किया, स्थानीय लोगों ने जांच के दौरान बताया कि प्रशासन द्वारा ईदगाह की जमीन को अतिक्रमण मानकर तोड़फोड़ की गई है जो गैर कानूनी है, भू अर्जन विभाग द्वारा ईदगाह जमीन में से मात्र 7 डिसमिल जमीन ही अधिग्रहण करने के लिए 5 नवम्बर 2019 को पत्र जारी किया है,
जांच में उन्होंने पाया कि ईदगाह की जमीन अखिलेश गिरी पिता अनिरुद्ध गिरी द्वारा नूर मोहम्मद मियां को सन 1954 को ही रजिस्ट्री की गई है, जिसका दस्तावेज नंबर 8487 है, वही आगे विधायक ने पाया कि सड़क निर्माण 60 फीट चौड़ा हीं करना है, मगर ईदगाह के पास 100 फीट चौड़ी सड़क बनाने का प्रशासन द्वारा फरमान जारी किया गया, इतना ही नहीं अतिक्रमण के नाम पर ईदगाह और आवासीय घर को तोड़ते समय 128 फीट तक तोड़फोड़ किया गया है, आगे उन्होंने कहा कि यह नियम कानून से परे प्रशासन उक्त करवाई संप्रदायिक भावना को तुष्ट करने के लिए और कुछ लोगों को स्वार्थ में की गई है ऐसा ही प्रतीत हो रहा है, जो अन्याय पूर्ण है, इस अन्याय का जवाब लोगों ने विरोध किया तो उन लोगों पर लाठीचार्ज किया गया और 20 नामजद लोगों सहित 100 लोगों को मुकदमा में फंसाया गया है,
श्री गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए बिल्कुल ही आवासीय भूमि पर से गरीबों को नहीं हटाना चाहिए, जबकि नियाज अहमद, अखतर मियां, तोफिल अहमद, नसीम अहमद, बेचू मियां, रिजवान आलम का घर तोड़ दिया गया है, जो खुले आसमान के नीचे या रिश्तेदार के यहां डेरा डाले हुए हैं,
जिला प्रशासन से मांग करते हुए माननीय विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा है कि ईदगाह की 7 डिसमिल से अतिरिक्त बची जमीन पर पुन: निर्माण कराया जाए तथा 7 डिसमिल अधिग्रहण की गई जमीन का वहां के अल्पसंख्यक समाज की कमेटी को मुआवजा दिया जाए, सड़क निर्धारित चौड़ाई 100 फीट से अधिक 128 वाले स्थल पर भाकपा माले कार्यालय स्थापित हो,
बिना जांच पड़ताल के गलत मंशा से तोड़फोड़ करने वाले पदाधिकारियों पर कार्रवाई किया जाए, सड़क किनारे से उजड़े आवासीय भूमिहीन परिवारों को आवासीय भूमि के साथ मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान दिया जाए, और आगे बिना वैकल्पिक व्यवस्था के गरीबों को न हटाया जाए और इस प्रकरण में हुए तमाम लोगों पर से मुकदमा वापस लिया जाए, अगर जिला प्रशासन ध्यान नही दिया तो जनता आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी,
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