बेतिया, 6 फरवरी (हि.स.)। तीनों कृषि कानून को रद्द करने को लेकर चल रहे राष्ट्रव्यापी आंदोलन पर मोदी सरकार द्वारा किसानों और पत्रकारों पर बर्बर दमन के खिलाफ किसान संघर्ष मोर्चा ने राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का आह्वान किया था भाकपा-माले ने इंटरमीडिएट परिक्षा को देखते हुए भाकपा-माले ने चक्का जाम के समर्थन में रेलवे स्टेशन से मोहर्रम चौक तक विरोध मार्च निकाला, इस बीच सभी गिरफ्तार किसानों व पत्रकारों को अविलंब रिहा करो। किसान आंदोलन पर दमन बंद करो। किसानों को गुलाम बनाने वाली तीनों काले कानून वापस लो, जनविरोधी बिजली विधयक 2020 वापस लो। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तमाम फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करो तथा सरकारी स्तर पर खरीद की गारंटी करो। अभिलंब गन्ना का मूल्य तय करो।गन्ना किसानों के बकाया राशि का भुगतान करो।आदि नारा लगा रहे थे, विरोध मार्च मुहर्रम चौक पर पहुँच कर सभा में तब्दील हो गया, सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले राज्य कमिटी सदस्य सुनील कुमार यादव ने कहा कि मोदी सरकार आंदोलन में शामिल किसानों और किसान आंदोलन की रिपोर्ट कर रहे पत्रकारों को टार्गेट कर बर्बर दमन कर रही है, जेएनयू, जामिया,सीएए,एमआरसी दिल्ली आंदोलन से लेकर आज किसान आंदोलन तक उनकी तानाशाही साफ-साफ दिख रही है. आगे कहा कि
करीब 77 प्रतिशत लोगों के निर्भरता वाले कृषि को मोदी सरकार सोची- समझी साजिश के तहत अडानी- अंबानी के हवाले करना चाहती है. आजाद देश के किसानों को गुलाम बनाने की साजिश चल रही है.
भाकपा-माले नेता योगेन्द्र यादव ने कहा कि भारतीय कृषि भारत की रीढ़ नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है और किसान अपनी आत्मा को अपनी शहादत देकर भी गिरवी नहीं रखने देगें,
भाकपा-माले सह निर्माण मजदूर संघ के जिला संयोजक जवाहर प्रसाद ने कहा कि केन्द्र सरकार कारपोरेट के सेवा की एजेन्सी बन गयी है, जो जनता पर आंसू गैस दागती है, कटीली तारों से घेराबंदी कर रहीं हैं,सडक पर स्थाई दीवारें खड़े कर रहीं हैं और दुसरी तरफ किसान का तनी मुट्ठिया व नारे देश के हित की रक्षा में लगे हैं। आइसा नेता अभिमन्यु राव ने कहा कि फासिस्ट भाजपा के ही लोग अब लोकतंत्र पर भी भाषण देंने में लगे हैं, जनता की हर आवाज को दबाने वाले अपने को देश भक्त कह रहे हैं इससे बड़ी विडंबना क्या होगी? भाजपा अपने चरित्र और उसके नेताओं के नस-नस में तानाशाही भरी पड़ी है, उन्हें लोकतंत्र पर बोलने का कोई हक नहीं है. दिल्ली आंदोलन से लेकर आज बिहार तक उनकी तानाशाही साफ-साफ दिख रही है. इनके अलावा धर्म कुशवाहा, सतनाम साह, महराज महतो, संदीप राम, भरत ठाकुर, भोला पटेल, आइसा नेता सोनू चौबे, प्रकाश माझी आदि लोगों ने भी सभा को संबोधित किया
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